यह दर्द आपका डीवीटी DVT तो नहीं!
डीप वेन थ्रेम्बोसिस या डीवीटी DVT एक ऐसा मर्ज है जिसमें शरीर की अंदरूनी सतह की शिराओं में रक्त का थक्का मतलब ब्लड क्लाट्स बन जाते हैं। खास तौर पैर की शिराओं में इस मर्ज का प्रकोप सबसे ज्यादा होता है, अगर हाल ही में आपकी कोई सर्जरी या घुटनों का प्रत्यपर्ण हुआ है तो इसका खतरा दोगुना बढ जाता है। अगर आपके पैर में लगातार दर्द और सूजन बनी रहती है तो इसकी जल्द से जल्द जांच करवा लें। कहीं यह डीवीटी DVT तो नहीं, कभी-कभी शरीर के अन्य भागों की शिराओं में भी यह मर्ज संभव है।
हाल ही में किए गए एक अध्ययन के अनुसार भारत में लगभग 40 प्रतिशत लोग इस बीमारी से जूझ रहे हैं। डीवीटी DVT खून के जमने से होता है अगर यह जमा हुआ खून का थक्का, पैर से निकल कर फेफडों तक पहंुच जाता है तो यह एक भयानक बीमारी का कारण बन सकता है अथवा जानलेवा भी हो सकता हैै।
सीताराम भरतिया इंस्टीट्यूट आफ साइंस एंड रिसर्च के वरिष्ठ आर्थोपेडिक ज्वाइंट रिप्लेस्मेंट सर्जन डाॅक्टर बीरेन नादकर्णी ने बताया कि इस बीमारी में रक्त के बडे थक्के, कुछ हद तक और फिर खून की नली को पूरी तरह बंद कर देते हैं। इसकी वजह से प्रभावित टांग में सूजन आ जाती है। लगातार टांग में असहनीय दर्द बना रहना और साथ ही छूने पर दर्द होता है। प्रभावित पैर की त्वचा के रंग में बदलाव आ जाता है और इसके साथ-साथ रोगग्रस्त टांग की त्वचा छूने पर गर्म महसूस होती है।
इस बीमारी के कई कारण हो सकते हैं जैसे –
- जब आप लंबे समय तक चलने फिरने से वंचित रहे हों। जैसे पैर या शरीर के किसी अन्य भाग के आपरेशन के बाद।
- लंबी दूरी की विमान यात्राएं करने वाले यात्रियों को भी यह शिकायत हो सकती है।
- 40 साल से ज्यादा उम्र वालों को यह मर्ज होने की संभावना अधिक होती है।
- पहले कभी शरीर के किसी भाग में रक्त का थक्का जम चुका हो
- अतीत में परिवार के किसी सदस्य को यह बीमारी हुई हो।
- आपका वजन अधिक हो
इस जानलेवा बीमारी से बचने के लिए ध्यान रखने योग्य बातें –
- यदि धूम्रपान करते हों तो इस लत को जल्द से जल्द छोड दें
- वजन ज्यादा हो तो घटाएं
- नियमित रूप से टहलने जाएं
- यदि आपका आपरेशन होना है इसके पहले और बाद में एंटीकोएगुलेंट रक्त के थक्के को गलाने वाली दवा लें। कंप्रेशन स्टाॅकिंग पहने और पैर और टांगों में मैकेनिकल पंप का इस्तेमाल करें
- यदि लंबी हवाई या रेल यात्रा पर जाना हो तो थोडी-थोडी देर बाद पैर की कसरत करें
- सही मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करें।
- इस बीमारी के इलाज में लापरवाही से कई समस्याएं पैदा हो जाती हैं, जब रक्त का थक्का पैर से निकलकर फेपडे में आ जाता है तो यह स्थिति पल्मोनरी एमबोलिज्म कहलाती है। इससे टांग में इसचीमिया यानी रक्त का प्रवाह कम होने लगता है। पोस्ट थ्रोम्बोटिक सिंड्रोम जैसे पैर में अल्सर होना आदि की शिकायतें सामने आ सकती हैं।
इलाज
इसमें खून के थक्के को गलाने के लिए दवा दी जाती है। यह दवा अस्पताल में शुरू की जाती है। यह दवा खून को पतला करती है, इसके इलाज मंे खून की कई बार जांच की जाती है। ये दवा 6 महीनों तक लगातार लेनी पड सकती है। साथ उन कारणों को भी जानना जरूरी है जिसकी वजह से यह स्थिति उत्पंन हुई है। ताकि यह बीमारी फिर से षरीर में अपना घर न बना पाए।
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