हेयर कलर से हेल्थ को होता है नुकसान! जानें विशेषज्ञ की राय
जिवीशा क्लीनिक, नई दिल्ली की कॉस्मेटिक डर्मेटोलॉजिस्ट व त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. आकृति गुप्ता से बातचीत पर आधारित
हेयर कलर और आपकी हेल्थ
हेयर कलर से हेल्थ को नुकसान होना या न होना कलर के अवयवों पर निर्भर करता है। इसके साथ ही कि आप कितनी बार कलर करते हैं। बालों के कलर में मौजूद पैरा-फेनिलेनेडियम (पीपीडी) सबसे ज्यादा हानिकारक होता है। अमूमन ये हेयर कलर का सबसे सामान्य और सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाला यौगिक है। पीपीडी 1000 से अधिक हेयर डाई फॉर्मूलेशन में पाया जाता है। पीपीडी के कारण एलर्जी, त्वचा में सूजन जैसी कई अन्य समस्याएं हो सकती है।
कुछ शोधों की मानें तो हेयर कलर से कैंसर का जोखिम भी बढ़ जाता है। हेयर कलर से हेल्थ के बारे में चिंतित महिलाओं को हेयर कलर के उपयोग की आवृत्ति को कम करना चाहिए या फिर गैर-रासायनिक-आधारित या प्राकृतिक हेयर कलर का उपयोग करना चाहिए। इसके साथ ही इसमें प्रयोग होने वाला अमोनिया बालों के रंग को लंबे समय तक बनाए रखता है, लेकिन कुछ लोगों में इससे एलर्जी की शिकायत भी हो सकती है। उनके लिए बेहतर है कि वे अमोनिया मुक्त कलर का प्रयोग करें।
हालिया अध्ययन के अनुसार, जो महिलाएं महीने में कम से कम एक बार या उससे अधिक समय तक अपने बालों को स्थायी कलर लगाती हैं, उनमें मूत्राशय के कैंसर होने की संभावना दोगुनी हो जाती है।
कलर करने से पहले रखें इन बातों का ख्याल
कलर लगाते समय दस्ताने जरूर पहनें। कुछ रसायन जहरीले होते हैं, इसलिए जोखिम कम से कम करें। अपनी स्कैल्प से रंग को दूर रखने की कोशिश करें। त्वचा के संपर्क में आने से एलर्जी की प्रतिक्रिया का खतरा भी बढ़ जाता है। रंग लगाने के बाद अपने स्कैल्प को पानी से अच्छी तरह धो लें। पीपीडी, रेसोरिसिनॉल या ट्राईथेनॉलमाइन जैसे रसायनों से युक्त कलर उपयोग करने से बचें। ये विषाक्त हो सकते हैं। सबसे बेहतर है कि आप प्राकृतिक रंगों का प्रयोग करें। प्राकृतिक हेयर डाई रासायनिक रंगों की तुलना में अधिक सुरक्षित है।
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