कालाष्टमी का व्रत 2021 तिथि, महत्व व पूजा विधि
कालाष्टमी का व्रत हर माह आता है। इस दिन बाबा काल भैरव जी की पूजा का विशेष महत्व होता है। बाबा काल भैरव देवाधिदेव महादेव का रूप माने जाते हैं। पुराणों के अनुसार का बाबा काल भैरव शिव जी के पांचवे अवतार हैं। मान्यता है कि बाबा काल भैरव के भक्तों का अनिष्ट करने वालों, को तीनों लोकों कहीं भी शरण नहीं मिलती है। इस पवित्र दिन काल भैरव की पूजा करने से बाबा प्रसन्न होते हैं। पूजा करने वाले व्यक्ति को किसी प्रकार का भय नहीं रहता है। साथ ही जीवन में चल रही परेशानियां समाप्त हो जाती हैं।
कालाष्टमी व्रत का महत्व
काल भैरव समस्त रोगों और कष्टों का नाश करने वाले देवता हैं। कालाष्टमी व्रत का महत्व तरह-तरह कष्टों से जूझ रहे व्यक्ति के लिए सबसे ज्यादा है। इस दिन पूरी श्रद्धा के साथ व्रत रखने से भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस दिन पूरे विश्वास के साथ व्रत रख कर राहू-केतु दोष से भी मुक्ति मिलती है। शनि देव के बुरे प्रभावों से भी कालाष्टमी का व्रत रखकर बचा जा सकता है। जिन लोगों के बने-बनाऐ काम अपने आप बिगड़ जाते हैं। उनके द्वारा यह व्रत रखने से उन्हें इस समस्या से छुटकारा मिलता है। साथ ही अकाल मृत्यु, रोग और भय से मुक्ति मिलती है।
कालाष्टमी पूजा विधि
ऐसी मान्यता है कि कालाष्टमी पूजा विधि विधान से करने वाले के समस्त कष्ट दूर होते हैं। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। पूरे मन से काल भैरव बाबा की उपासना करनी चाहिए। इस दिन व्रती को किसी भी प्रकार का क्रोध नहीं करना चाहिए। व्रती को अपने मुख से अपशब्द नहीं निकालने चाहिए। ऐसा करने से व्रती पाप का भागी बनता है। पूरे दिन उपवास के बाद संध्या में धूप, दीप आदि से पूजा करनी चाहिए। काले तिल, उरद और सरसों के तेल का दिया बनाकर भगवान काल भैरव की आरती करनी चाहिए।
पुराणों के अनुसार काल भैरव बाबा का वाहन कुत्ता है। इसलिए व्रत खोलने से पहले कुत्ते को भोजन देना शुभफल देता है। साथ ही भूत-पिशाच की बाधाओं से अपने आप छुटकारा मिलता है। इस दिन बाबा काल भैरव की कथा सुनने का विशेष महत्व है। इस कथा को सुनने मात्र से कष्टों का नाश हो जाता है।
जुलाई 2021 तिथि कालाष्टमी का व्रत
पंचांग के अनुसार कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी उपवास रखा जाता है। इस तरह 31 जुलाई 2021 शनिवार को यह व्रत होगा।
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