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रक्षाबंधन में पूजा की थाली कैसी होनी चाहिए, आइए जानते हैं

रक्षाबंधन में पूजा की थाली का खास महत्व होता है। विधिवत पूजा करने के बाद रक्षा का बंधन बांधने से ईश्वर की कृपा पूरे परिवार पर होती है। रक्षा बंधन का दिन स्नान आदि के बाद भगवान पूजा करें। अगर पूरा परिवार एक साथ पूजा में सम्मलित हो सकता हो तो इसका विशेष महत्व है। भगवान की पूजा के बाद उनको राखी बांधने से दिन की शुरूआत करें। इसके बाद भगवान का स्मरण और वंदना करते हुए पूजा थाली तैयार करें। थाली में रोली, चावल, घी का दिया, मिठाई और राखी को सजाएं।

ध्यान रखें कि रक्षाबंधन में पूजा की थाली में राखी रखने से पहले उसकी पैकिंग हटाना न भूलें। रक्षा सूत्र बांधने की शुरूआत भाइयों के माथे पर रोली और चावल का तिलक लगा कर करें। तिलक लगाने से पहले भाइयों के सिर पर साफ कपड़े जरूर रखें। इसके बाद रक्षा सूत्र उनकी कलाई पर बांधें। इसके बाद भाइयों का मुंह स्वादिष्ट मिठाइयों या चॉकलेट से मीठा करवाएं।

रक्षाबंधन की रस्म

रक्षाबंधन की हर रस्म को पूरी लगन और शुद्धता के साथ निभाना चाहिए। हर बहन का सपना होता है कि उसका भाई लंबी उम्र और खुशहाली पाए। अपने भाई को ढेर सारी खुशियाँ, अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र का आशीर्वाद देने का सक्षम बनाने का आर्शीवाद भगवान से जरूर मांगे। रक्षा बंधन के त्योहार के दिन बहन अपने भाइयों के जीवन में सुख और समृद्धि का आशीर्वाद देने के लिए व्रत भी रख सकती है।

कैसी हो रक्षाबंधन में पूजा की थाली

रक्षाबंधन के त्योहार पर पूजा की थाली का अत्यधिक महत्व है क्योंकि बहन भगवान के साथ-साथ अपने भाई की भी इसी राखी थाली से पूजा करती है। चलिए जानते हैं कि रक्षाबंधन में पूजा की थाली कैसे तैयार करेंः

रोली या कुमकुम

लाल रंग की रोली और कुमकुम बहन द्वारा अपने भाई के माथे पर सकारात्मक और आध्यात्मिक विचारों को बढ़ावा देने के लिए लगाया जाता है।

चावल

रोली टिक्का लगाने के बाद चावल भाई के माथे पर लगाया जाता है। किसी भी बुराई को दूर करने के लिए उन्हें माथे पर भी छिड़का जाता है।

दिया

इसका उपयोग भाइयों पर किसी भी बुरी नजर के प्रभाव को दूर करने के लिए किया जाता है। रूई की बाती उस आत्मा का प्रतीक है जो जीवन से तेल यानी कि बुरी ऊर्जा को जलाती है।

सुपारी

सुपारी सभी धार्मिक अनुष्ठानों में शुभ माना जाती है।

मिठाई

रक्षाबंधन के पर्व में मिठाई का अपना एक अलग महत्व है, मिठाई के बिना रक्षाबंधन का त्योहार अधूरा ही रहता है।